यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 13 सितंबर 2016

दर्द बेशुमार मिला

रूह मेरी रही प्रेम की प्यासी दर्द बेशुमार मिला
दिल के सोये अरमानो को ये संसार मिला

साथ तेरा माँगा तो मुझको गम की गर्द मिली
चाहत के नगमो के बदले आहें सर्द मिली
दर्द का रिश्ता सबने निभाया जो इस पार मिला

अब तो यही सोचा है हमने यूँ ही जी लेंगे
चुप ही रहेंगे लब सी लेंगे आंसू पी लेंगे
गम से अपना रिश्ता पुराना ये सौ बार मिला

साथ तुम्हारा छूट जबसे हर कोई छूट गया
कहता था जो अपना मुकद्दर हमसे रूठ गया
अब क्या इसका शिकवा करना जो बेज़ार मिला
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी: