जिंदगी की रफ्तार बढ़ती जा रही है
लगता है जैसे जां किसी की जा रही है
लम्हा लम्हा कट रही है जिंदगी
लगता है फिर सांस जैसे थम रही
जिस्म से रूह निकलती जा रही है
घड़ी लो मौत की अब आ रही है
सिर्फ एहसास बनती जा रही है
चिता यादों की सजती जा रही है
दुआ लब से फिसलती जा रही है
शमा जलती पिघलती जा रही है
कुरेदो तुम न बुझती हुई चिंगारी को
धीमे से सुलगते जा रहे अंगारो को
न देख पाओगे तुम अब हाल मेरा
इक शमा थी जो बुझती जा रही है
@मीना गुलियानी
लगता है जैसे जां किसी की जा रही है
लम्हा लम्हा कट रही है जिंदगी
लगता है फिर सांस जैसे थम रही
जिस्म से रूह निकलती जा रही है
घड़ी लो मौत की अब आ रही है
सिर्फ एहसास बनती जा रही है
चिता यादों की सजती जा रही है
दुआ लब से फिसलती जा रही है
शमा जलती पिघलती जा रही है
कुरेदो तुम न बुझती हुई चिंगारी को
धीमे से सुलगते जा रहे अंगारो को
न देख पाओगे तुम अब हाल मेरा
इक शमा थी जो बुझती जा रही है
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें