तुम बिन जिया उदास है
ये कैसी अमित प्यास है
तरुवर अब मुरझाने लगे हैं
गीत मुझे भूल जाने लगे हैं
होठों से हँसी जो तूने चुराई
कबसे निंदिया हुई है पराई
दिल का मेरे चैन उड़ा है
मन का मयूरा व्याकुल हुआ है
पंछी भी न गाये तराने
फूल भी अब लगे शर्माने
भाये न कोयल मतवाली
झूमती है जो डाली डाली
चातक स्वाति जल को चाहे
पी पी की वो रट लगाए
जाने कब बरसेंगे मेघा
कब आके वो जी हर्षाये
बागों में वो सावन लौटे
मन का मयूरा फिर से गाये
मन मेरा भी झूमे नाचे
मन की उदासी दूर भगाये
@मीना गुलियानी
ये कैसी अमित प्यास है
तरुवर अब मुरझाने लगे हैं
गीत मुझे भूल जाने लगे हैं
होठों से हँसी जो तूने चुराई
कबसे निंदिया हुई है पराई
दिल का मेरे चैन उड़ा है
मन का मयूरा व्याकुल हुआ है
पंछी भी न गाये तराने
फूल भी अब लगे शर्माने
भाये न कोयल मतवाली
झूमती है जो डाली डाली
चातक स्वाति जल को चाहे
पी पी की वो रट लगाए
जाने कब बरसेंगे मेघा
कब आके वो जी हर्षाये
बागों में वो सावन लौटे
मन का मयूरा फिर से गाये
मन मेरा भी झूमे नाचे
मन की उदासी दूर भगाये
@मीना गुलियानी
बहुत सुन्दर (तुम बिन जिया उदास है) good नाईट
जवाब देंहटाएंअमित प्यास.......feeling full
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