यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 2 दिसंबर 2015

तेरी खुशबु आने लगी है



सांसो में तेरी खुशबु सी आने लगी है
फिजाओं में मस्ती सी छाने लगी है

हवाओं ने भेजा है पैगाम तेरा
सरगम जिसे गुनगुनाने लगी है

फूलों से पूछा पत्ते पत्ते से पूछा
हवाएँ भी संदेश लाने लगी है

भीगा बदन है बिखरी लटें है
चुनरिया मेरी लहराने लगी है

                 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें