करे मन की प्रीत पुकार
घर अाजा वैरी बलमवा
काहे दीन्हि बिरहा की मार
करे मन की प्रीत पुकार
ओ सपनों के मेरे मीत
कैसे गाऊं ख़ुशी के गीत
टूटे वीणा के है तार
करे मन की प्रीत पुकार
दूर अंबर में तारे हँसते
नयन तारे मगर है बरसते
कैसे पाऊँ मै पार बता जा
करे मन की प्रीत पुकार
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