तुमने सरिताओं को मोड़ा
मरुस्थल में फूल खिला डाले
कुछ ही वर्षो में भारत में
कला मंदिर नए बना डाले
यह कौशल तकनीकी युग का
बढकर यह विद्या अपना लो
तुम खून पसीना एक करो
उड़ते बादल को बरसा लो
नव युग की तुम्हे चुनौती ये
विज्ञानं तुम्हें है बुला रहा
यह द्वार प्रगति के नए खोज
वरदान तुम्हे है बुला रहा
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