दिल ने फिर तुमको पुकारा कैसी तन्हाई है
दिल को बहलाने तेरी याद चली आई है
क्या बताएं तुम्हें हम दर्दे मुहब्बत क्या है
सिर्फ जलने के सिवा शमा की किस्मत क्या है
आज तेरे इश्क में इस जान पे बन आई है
याद करो गुज़रे वो पल हमको बुलाया था कभी
पेड़ो की छाँव में सीने से लगाया था कभी
ऐसा उजड़ा है वो गुलशन न बहार आई है
हम तो सीने पे तेरा नाम लिखा करते है
इश्क की याद में हम रोज़ मरा करते है
आह निकले न कभी इश्क की रुसवाई है
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