गर तूने दिया गम तो उसी गम में रहे खुश
जिस तरह रखा तूने उसी आलम में रहे खुश
दुःख दर्द में आफत में जंजाल में खुश है
गर तूने ओढ़ाया तो लिया ओढ़ दुशाला
कंबल जो दिया तूने उसे कंधे पे संभाला
दिन रात घड़ी पहर हर हांल में खुश है
चेहरे पे शिकन हे न जिगर में असरे गम
यकसा है हमे जिंदगी और मौत का आलम
गर माल दिया तूने तो उस हाल में खुश है
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