मेरे पिया गए परदेस
लगाकर दिल पे मेरे ठेस
जिया अब तुझ बिन जाए ना
काटूँ दिन कैसे समझ आये ना
इन सूखे फूलों में बास नहीं
अब जीने की भी आस नहीं
जब मै साजन के पास नहीं
मुझे कोई रुत भाये ना
क्यों सोया तू चादर तान
सिर पर मौत खड़ी है आन
मै तो हूँ तेरे कुर्बान
कहीं ईमान बदल जाए ना
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