चली में तो पिया की डगर को चली
मन में साँवरिया हुई मै बावरिया
चंचल मन मोरा इत उत डोले
पानी की गगरी खाए हिचकोले
तन ये सम्भले न मन ये माने ना
राह चलत उलझी उलझी
वैरी झोंका जब जब आये
सर से चुनरी उड़ उड़ जाये
दिल कुछ बोले ना
घूंघट खोलूँ ना
नैनन की भरूँ मै गगरी
नैना मोरे भये है दीवाने
दिल का भंवरा गाये गाने
चंचल मन मोरा
पुलकित तन मोरा
राह तकत हुई मै बावरी
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