उनको मिलने की चाहत बहुत थी मगर
अपनी मजबूरियों ने मिलने न दिया
न ही जीने दिया न ही मरने दिया
दिल ने मुझको कहीं का न रहने दिया
दिल की बेताबियाँ दिल में ही घुट गई
ख्याले रुसवाई ने कुछ न कहने दिया
लाख सोचा सिजदा करें ख़्वाब में
बेरहम चाँद ने वो भी न करने दिया
कफ़स की कशिश में कमी कब हुई
साये जुल्फों में खुद को तड़पने दिया
उनकी खामोशियों का शिकवा क्या करें
अपनी तन्हाइयों ने न मिलने दिया
बाद मुद्द्त मिले तो देखते रह गए
बेबसी ने लबों को हिलने न दिया
चाहते तो चमन खिल ही जाता कभी
खुद को वीरानियों में भटकने दिया
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