पर बदली सारी तस्वीरें
आज़ाद ख्यालो की मेरी
दुनिया को न भाई तस्वीरें
सब रंग मेरे छीन लिए
हाथों में लगा दी जंजीरे
यह तंग ख्यालों की दुनिया
कब समझी दिल की बातों को
पतझड़ की हवाओ और चलो
सब फूल गिरा दो उपवन के
यादों के सुलगते अंगारे
हर दाग जला दो दामन के
मंजिल पर न पहुंचे तो क्या
दीदार ऐ मंजिल काफी है
सैलाब से लौहा लेने को
मौजो के इशारे काफी है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें