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मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

कोयल कूकती है


आज जीवन में तुम्हारे
आशा कोयल कूकती है

              लो प्रकृति ही सुख के
              मृदुल बंधन जोड़ती है
              आज तव अभिषेक करने
              स्वर्ग निधि उर खोलती है

चित्र पूरे हो गए है
अर्चना भी आज पूरी
हो अमर यह प्रणय बंधन
आज कोकिल कूकती है

             आज जीवन में तुम्हारे
             आशा कोकिल कूकती है 

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