चेतो चेतो जल्दी मुसाफिर गाडी जाने वाली है
पाँच धातु की है रेल जिसको मन इंजन ले जाए
इंद्रियगण के पहियों से वो तो खूब ही तेज़ चलाये
गुरूजी के करकमलों से इसकी होती रखवाली है
जागृत स्वप्न सुषुप्ति तुरिया चार इसके स्टेशन है
आठ पहर इन्हीं में विचरे रेल सहित जो इंजन है
बैठ न पाए हरगिज़ वह नर जो सत्कर्म से खाली है
राहगीरों को ललचाने को नाना तरह से सजती है
तीन घण्टिका बाल तरुण और ज़रा की इसमें बजती है
धर्म सनातन लाईन छोड़के निपट बिगड़ने वाली है
काम क्रोध लोभादिक डाकू खड़े राह में तकते है
पुलिसमैन सद्गुरु उपदेशक रक्षा सबकी करते है
निर्भय वो हो जाता है जो बन जाए पूरा ज्ञानी है
@मीना गुलियानी
पाँच धातु की है रेल जिसको मन इंजन ले जाए
इंद्रियगण के पहियों से वो तो खूब ही तेज़ चलाये
गुरूजी के करकमलों से इसकी होती रखवाली है
जागृत स्वप्न सुषुप्ति तुरिया चार इसके स्टेशन है
आठ पहर इन्हीं में विचरे रेल सहित जो इंजन है
बैठ न पाए हरगिज़ वह नर जो सत्कर्म से खाली है
राहगीरों को ललचाने को नाना तरह से सजती है
तीन घण्टिका बाल तरुण और ज़रा की इसमें बजती है
धर्म सनातन लाईन छोड़के निपट बिगड़ने वाली है
काम क्रोध लोभादिक डाकू खड़े राह में तकते है
पुलिसमैन सद्गुरु उपदेशक रक्षा सबकी करते है
निर्भय वो हो जाता है जो बन जाए पूरा ज्ञानी है
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