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मंगलवार, 19 जुलाई 2016

भजनमाला ------------94

हरि बिन तेरो कौन सहाई 
मात पिता सूत नारी भाई अंत सहायक नाहीं 

क्यों करता है मेरी मेरी ये तन एक राख की ढेरी 
छोड़के पिंजरा इक दिन उड़ना तज दे प्रीत पराई 

तज दे झूठी माया काय क्यों मानव इसमें भरमाया 
गुरु जी ने सच्चा तत्व बताया वो ही तेरा सहाई 

ये जग है इक झूठी माय कंचन जैसा महल बनाया 
तूने माय में मन को रमाकर चैन गंवा दिया भाई 

गुरु को मीत  बनाले अपना ये जग है इक झूठा सपना 
छूटेंगे जिस दिन प्राण तेरे तो हँस अकेला जाई 
@मीना गुलियानी 

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