गोरे गोरे गात को गुमान कहा बावरे
रंग तो पतंग तेरो काल उड़ि जाएगो
धुंआ कैसो धन तेरो जातहुँ न लागे बेरा
नदी के किनारे वृक्षमूल ही सो जाएगो
बोले जासू तीखे बोल बोलिए जो हितकारी
जीवन गया कि पीछे कौड़ी हूँ न पाएगो
मानुष की देह वो तो जीवत ही आवे काम
मुवा पीछे स्यार काग कूकरो न खायेगो
फूसहू की आग को निवास घड़ी दोऊ को
चोरन को माल नहीं चौहटे बिकायेगो
सुन मन मेरे छौड दे तू माया की देंन
बंधी मुट्ठी आयो है पसारे हाथ जाएगो
@मीना गुलियानी
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