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रविवार, 17 जुलाई 2016

भजनमाला ---------88

नाथ मै थारो जी थारो
चोखो बुरो कुटिल अरु कामी जो कुछ हूँ सो थारो 


बिगड्या हूँ तो थारो बिगड्यो थे ही मने सुधारों 
बुरो बुरो मै बहुत बुरो हूँ आखिर टाबर थारो 
बुरो कहाकर मै रह जास्यूँ नाम बिगडसी थारो 
थारो हूँ थारो ही बाजुं रहस्यूँ थासो न्यारो 


आंग्लियाँ नुंह  परे न होवे ए आ तो आप विचारों 
मेरी बात जाए तो जाए सोच नहीं कछु म्हारो 
मेरे बड़ो सोच यो लाग्यो बिरद लाजसी थारो 
जचे जिस तरह करो नाथ अब मारो चाहे तारो 
@मीना गुलियानी 

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