भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात है
चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात है
बड़े बड़े पापियों को तार दिया नाम से
तू काहे भूल बैठा लोभ मोह काम से
बनके नादान भूला जानी नही बात है
विषय और विकार की चादर लपेटकर
कब तक सोएगा तू प्रभु को विसारकर
नैन खोल देख ज़रा हो गई प्रभात है
छोड़ जंजाल अब ध्यान धर मन में
रट राम नाम तू काहे फंसा धन में
हीरा सा जन्म तेरा यूं ही बीता जात है
खाली हाथ आया बन्दे खाली हाथ जाएगा
खोवे क्यों अवसर फिर पछतायेगा
साँची बात तुझे समझ में न आत है
@मीना गुलियानी
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