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शनिवार, 16 जुलाई 2016

भजनमाला ------------86

है बहारे बाग़ दुनिया चंद रोज़ 
देख लो इसका तमाशा चंद रोज़ 

ऐ मुसाफिर कूच का सामान कर 
इस जहाँ में है बसेरा चंद रोज़ 

पूछा लुकमा से जिया तू कितने रोज़ 
दस्ते हसरत मलके बोल चंद रोज़ 

बाद मदफन कब्र में बोली क़ज़ा 
अब यहाँ तू सोते रहना चंद रोज़ 

फिर  कहाँ तुम और कहाँ हम दोस्तों 
साथ है मेरा तुम्हारा चंद रोज़ 

क्यों सताते हो दिले बेजुर्म को 
ज़ालिमो ये है ज़माना चंद रोज़ 
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी:

  1. लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा तुम्हें अपना बना बैठे जो होगा देखा जाएगा दीवाने बन गए तेरे तो फिर दुनिया मतलब जो सबसे दिल... nice words

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