कितनी बार पुकारा तुमको सुनते नहीं पुकार प्रभो
भूल गए क्या तुम भी हमको दीनो के दातार प्रभो
दयासिन्धु कहलाते हो पर दया नहीं दिखलाते हो
होकर दीनानाथ आज क्यों दीनो को ठुकराते हो
छिपा नहीं है तुमसे कुछ भी जो हम पर है बीत रहा
नहीं जानते क्या तुम भगवन जो जो हमने दुःख सहा
किसके आगे जाकर रोएँ किससे अपना हाल कहें
छोड़ तुम्हें बतलाओ भगवन किसकी जाकर शरण गहें
करता दास पुकार यही प्रभु विनती मेरी सुन लीजे
दर्शन देकर मुझको भवन बेडा पार तुंरत कीजे
@मीना गुलियानी
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