मन रे सो गुरु परम उदारा करें जो मनमंदिर उजियारा
अलख निरंजन गुरु अविनाशी सबका सिरजनहारा
निर्गुण से सगुण हो प्रकटे जानो नित अवतारा
परमार्थ को जग में आया इंद्र ज्यों उपकारा
ज्ञान घटा ले अनहद गरजे वाणी अमृत धारा
महावाक्य का जल बरसावे श्रवण किये भवपारा
उत्तम मध्यम कनिष्ठ ऊपर वर्षा करें इक सारा
सतगुरु तो समरूप सदा ही बरसा ज्ञान अपारा
गुरु जी ने अनुभव सर भर्या पीवो मुमुक्षु सारा
@मीना गुलियानी
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