सिमरूँ सरस्वती तोहि भवानी
अनुभव प्रकट करो मम वाणी
गिर क्र रसीली प्रेम रस भीनी
कविता सुंदर होए प्रभु कहानी
सर्व वाग् भूषण दूषण परिहारी
भक्ति ज्ञान वैराग बखानी
सर्व भाषा की तुम हो जननी
तुम्ही सकल विद्या की खानी
दास माता यही वर मांगे
वाणी प्रसिद्ध होए प्रमाणी
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें