तू व्यापक है सकल जग में तेरी सत्ता समाई है
दुखी का दीन जन का तू कृपासागर सहाई है
गगन ,इ जल में पथ्वी काष्ठ में पत्थर में अग्नि में
बनाए है अनोखे जीव और सबका सहाई है
विश्वम्भर है तू देता लाख चौरासी को भोजन है
तेरा ही नाट्य घर है विश्व तू सबका सहाई है
तू ही जगदीश ईश्वर है विलक्षण है तेरी लीला
प्रकट का गुप्त का शंकर सदा तू ही सहाई है
@मीना गुलियानी
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