प्रिय पाठकगण,
मुझे यह बताते हुए अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि मेरी पुस्तक 102 - कविताएँ
प्रकाशित हो चुकी है एवं http://www.amazon.in/102-kavitayein-Meena-Gulyani/dp/938242248X/ref=sr_1_6?ie=UTF8&qid=1467947822&sr=8-6&keywords=gulyani
पर उपलब्ध है । मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक अापके मन को कहीं न कहीं अवश्य ही रोमांचित कर
देगी और आप पढ़ते हुए अगर भाव विभोर हो उठे तो मेरी साधना व्यर्थ नहीं जायेगी ।
इसके साथ ही मेरी एक अन्य पुस्तक भी जिसका नाम छन्द , अलंकार व् शब्द शक्तियाँ है वह भी
प्रकाशित हो चुकी है एवं https://www.amazon.com/Chhand-Alankaar-aur-Shabd-Shaktiyan-Hindi/dp/1534782184/ref=sr_1_4?ie=UTF8&qid=1467947876&sr=8-4&keywords=gulyani
पर उपलब्ध है । यह पुस्तक मैने विशेषकर उन सभी विद्यार्थियों के लिए लिखी है जिन्हें छन्द , अलंकार याद करने में परेशानी होती है । इसी बात को मध्यनज़र रखते हुए मैने अपनी ओर से पूर्णतया इसे उदाहरण सहित समझाया व जटिल विषय को रोचक बनाकर प्रस्तुत करने की कोशिश की है । यह पुस्तक स्कूल , कालेज की लाईब्रेरी के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी ।
मै आप सभी महानुभावों से अपेक्षा करती हूँ कि मेरी इन दोनों पुस्तकों को आप सभी का स्नेह एवं
सहयोग प्राप्त होगा जैसा की आप सभी ने आज तक मुझे दिया है । मै आप सभी का आभार व्यक्त
करती हूँ क्योंकि आप अभी से मुझे बहुत प्रेम व सम्मान प्राप्त हुआ है ।
कृपया इन दोनों पुस्तकों को पढ़कर अपने विचारों से मुझे अवश्य meenagulyani@gmail.com पर अवगत कराएं
धन्यवाद सहित
मीना गुलियानी
मुझे यह बताते हुए अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि मेरी पुस्तक 102 - कविताएँ
प्रकाशित हो चुकी है एवं http://www.amazon.in/102-kavitayein-Meena-Gulyani/dp/938242248X/ref=sr_1_6?ie=UTF8&qid=1467947822&sr=8-6&keywords=gulyani
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देगी और आप पढ़ते हुए अगर भाव विभोर हो उठे तो मेरी साधना व्यर्थ नहीं जायेगी ।
इसके साथ ही मेरी एक अन्य पुस्तक भी जिसका नाम छन्द , अलंकार व् शब्द शक्तियाँ है वह भी
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पर उपलब्ध है । यह पुस्तक मैने विशेषकर उन सभी विद्यार्थियों के लिए लिखी है जिन्हें छन्द , अलंकार याद करने में परेशानी होती है । इसी बात को मध्यनज़र रखते हुए मैने अपनी ओर से पूर्णतया इसे उदाहरण सहित समझाया व जटिल विषय को रोचक बनाकर प्रस्तुत करने की कोशिश की है । यह पुस्तक स्कूल , कालेज की लाईब्रेरी के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी ।
मै आप सभी महानुभावों से अपेक्षा करती हूँ कि मेरी इन दोनों पुस्तकों को आप सभी का स्नेह एवं
सहयोग प्राप्त होगा जैसा की आप सभी ने आज तक मुझे दिया है । मै आप सभी का आभार व्यक्त
करती हूँ क्योंकि आप अभी से मुझे बहुत प्रेम व सम्मान प्राप्त हुआ है ।
कृपया इन दोनों पुस्तकों को पढ़कर अपने विचारों से मुझे अवश्य meenagulyani@gmail.com पर अवगत कराएं
धन्यवाद सहित
मीना गुलियानी
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