मै तो तेरी चाकर बनकर आंगन रोज़ बुहारूँगी
जिस आंगन तोरे चरण पड़ेंगे वो आंगन मै निहारूँगी
एक एक पग के नीचे फुलवा मै तो आज बिछाउंगी
तेरे चरण की धूलि लेकर मस्तक पर लगाऊँगी
मै तो बन गई जोगन तेरी जोगनिया कहलाऊंगी
मेरे साजन तू तो बसे उस गाँव नगरी इधर बसाउंगी
जिस पल लौटके आओगे तुम रास्ते फूल बिखराऊंगी
गीत तुम्हारे ले इकतारा प्रेम की धुन में गाऊंगी
हृदय की मांहि छवि तुम्हारी मै तो आज बसाउंगी
प्रेम की ले खरतआल हाथ में मंजीरा आज बजाऊंगी
प्रेम के रस में भीगे हुए फल तुझको अाज खिलाऊंगी
@मीना गुलियानी
जिस आंगन तोरे चरण पड़ेंगे वो आंगन मै निहारूँगी
एक एक पग के नीचे फुलवा मै तो आज बिछाउंगी
तेरे चरण की धूलि लेकर मस्तक पर लगाऊँगी
मै तो बन गई जोगन तेरी जोगनिया कहलाऊंगी
मेरे साजन तू तो बसे उस गाँव नगरी इधर बसाउंगी
जिस पल लौटके आओगे तुम रास्ते फूल बिखराऊंगी
गीत तुम्हारे ले इकतारा प्रेम की धुन में गाऊंगी
हृदय की मांहि छवि तुम्हारी मै तो आज बसाउंगी
प्रेम की ले खरतआल हाथ में मंजीरा आज बजाऊंगी
प्रेम के रस में भीगे हुए फल तुझको अाज खिलाऊंगी
@मीना गुलियानी
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