यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 3 जुलाई 2016

तेरी जोगनिया कहलाऊंगी

मै तो तेरी चाकर बनकर आंगन रोज़ बुहारूँगी
जिस आंगन तोरे चरण पड़ेंगे वो आंगन मै निहारूँगी

एक एक पग के नीचे फुलवा मै तो आज बिछाउंगी
तेरे चरण की धूलि लेकर मस्तक पर लगाऊँगी
मै तो बन गई जोगन  तेरी जोगनिया कहलाऊंगी

मेरे साजन तू तो बसे उस गाँव नगरी इधर बसाउंगी
जिस पल लौटके आओगे तुम रास्ते फूल बिखराऊंगी
गीत तुम्हारे ले इकतारा प्रेम की धुन में गाऊंगी

हृदय की मांहि छवि तुम्हारी मै तो आज बसाउंगी
प्रेम की ले खरतआल हाथ में मंजीरा आज बजाऊंगी
प्रेम के रस में भीगे हुए फल तुझको अाज खिलाऊंगी
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें