-भगवान तुम्हारे चरणों में मै तुम्हे रिझाने आई हूँ
वाणी में तनिक मिठास नहीं पर विनय सुनाने आई हूँ
प्रभु का चरणामृत लेने को है पास मेरे कोई पात्र नहीं
आँखों के दोनों प्यालों में कुछ भीख मांगने आई हूँ
तुमसे लेकर क्या भेंट धरूँ भगवान आपके चरणों में
मै भिक्षुक हूँ तुम दाता हो संबंध बताने आई हूँ
सेवा को कोई वस्तु नहीं फिर मेरा हृदय देखो तुम
हाँ रोकर आज आँसुओ का मै हार चढाने आई हूँ
@मीना गुलियानी
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