हक शराफत का हमने अता कर दिया
उसको सजदा किया और खुदा कर दिया
उम्र भर मै उसी शह से हरदम लिपटा रहा
जिसने हर शह से मुझको जुदा कर दिया
दिल की तकलीफ जब मुझसे सही न गई
मिले दर्द को दर्दे दिल की दवा कर दिया
आज अपना भी सर उसके कदमों में है
उसने जो भी कहा मैने वो सब कर दिया
कौन गुज़रा यहाँ से पेड़ों को छूते हुए
सूखे पत्तों को किसने हरा कर दिया
तेरा एहसा तो हमेशा ही मानूँगा मै
क्या था मै तुमने क्या से क्या कर दिया
@मीना गुलियानी
उसको सजदा किया और खुदा कर दिया
उम्र भर मै उसी शह से हरदम लिपटा रहा
जिसने हर शह से मुझको जुदा कर दिया
दिल की तकलीफ जब मुझसे सही न गई
मिले दर्द को दर्दे दिल की दवा कर दिया
आज अपना भी सर उसके कदमों में है
उसने जो भी कहा मैने वो सब कर दिया
कौन गुज़रा यहाँ से पेड़ों को छूते हुए
सूखे पत्तों को किसने हरा कर दिया
तेरा एहसा तो हमेशा ही मानूँगा मै
क्या था मै तुमने क्या से क्या कर दिया
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें