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शनिवार, 23 जुलाई 2016

भजनमाला ------98

इंसान जी सके तो इंसान बनके जी 
धरती का भार बनके न हैवान बनके जी 

है जिनका पेट खाली कभी उनकी ले खबर 
ओ मौज करने वाले गरीबों पे कर नज़र 
गिरतों को  दे सहारा तू इंसान बनके जी 

नैया भँवर में हो किसी की पार  लगा दे 
आफत  में कोई दब रहा तू उसको उठा दे 
रोते  हुए चेहरों की तू मुस्कान बनके जी 

अन्धो के लिए लाठी  निराशों की आस बन 
अंधियारे में भटके हुए का तू प्रकाश बन 
हे मानव तू विश्व की इक शान बन के जी 
@मीना गुलियानी 

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