यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

कर्म से भाग्य बदलता है

आनन्द एक आभास है 
जिसे हर कोई ढूँढता है 

दुःख एक अनुभव है 
जो सबके पास मौजूद है 

कामयाब वही होता है 
जिसे खुद पर विश्वास है 

फिर क्यों नहीं आगे बढ़कर 
उस कामयाबी को पा लेते 

हाथ पर हाथ रखकर सोचने से 
क्या कभी कुछ काम बनता है 

संवरता है उसका नसीब केवल 
जो दो कदम साहस से चलता है 

भाग्य भरोसे रहने वाला बैठा रह जाता है 
पुरुषार्थी ही केवल सागर से सीप लाता है 

तुम नाहक ही भाग्य को कोसते  हो 
क्यों नहीं अपने पुरुषार्थ से हाथों में 

एक नई लकीर खीँच लेते हो 
केवल कर्म से ही भाग्य बदलता है 

बदल जाया  करती है  तदबीर उसकी 
जो हवा का भी रुख बदल सकता है 
@मीना गुलियानी 




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें