उठ भोर भई त्यागो निद्रा अब ईश भजन की बेला है
प्रभु परमेश्वर में ध्यान लगा जो सच्चा सखा सहेला है
शुद्ध शीतल सुंदर सुगंध भरी वायु चलती आनंद भरी
देखो उषा ने गगन मंडल पर डाला खूब उजेला है
पशु जागे पक्षी चेते है गुणगान करें जगदीशवर का
तू भी उठ जाग प्रभु गुण गा बना आलस का क्यों चेला है
मानव का चोला है तेरा ईशवर भक्ति से सफल बना
प्रभु भक्ति बिना ये चोला भी इक माटी का ही ढेला है
धन जन बल तन न साथ चले शुभकर्म कमा इस चोले से
आया था अकेला दुनिया में जाना भी तुझे अकेला है
ऐ बन्दे सोच विचार ज़रा मोहमाया में क्यों फंसा रहा
यह बात सदा रख सन्मुख तू यहाँ चार दिनों का मेला है
सुन ऋषियों के सतसंग से तू आत्मा अपनी शुद्ध बना
जप तप से जीवन को चमका और झूठा छोड़ झमेला है
@मीना गुलियानी
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