ये ज़िंदगी उसी की है जो गुरु का हो गया ध्यान में जो खो गया
बदल रहा है ये समा तू भी कुछ बदल के देख
रेखा ये तकदीर की ,आज तू पलट के देख
द्वार आके मस्ती में झूमके तू गीत गा
होगी इनायतें ज़रूर उसपे तू विश्वास कर
रख भरोसा बाबा पर और न इस दुनिया से डर
दिल में बाबा को बसा ये समा दीदार का
क्यों अकड़ता है रे मन ,अब तो बाबा का बन
नूर देख आज तू, फैला है चमन चमन
प्रेम से उसको मना और जहां को भूल जा
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