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सोमवार, 27 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-145 (Gurudev Ke Bhajan145)




ज़िंदगी तेरे हवाले ऐहसान इतना करदो 
अपनी लगन का मन में बाबा जी रंग भरदो 

मन में तुम्ही बसे हो सांसो में  रम रहे हो
 मेरी धड़कनों के सुर की झंकार बन गए हो 
मेरे सिर पे हाथ रखकर ऐहसान इतना करदो 

अज्ञान ने है लूटा और मोह ने है घेरा
 काटो ये मेरे बंधन चौरासी का ये फेरा 
दुष्कर्मो से बचाकर ऐहसान इतना करदो 

तेरे सिवा जहाँ में कोई नही है अपना 
देखी ये दुनिया सारी जो है एक झूठा सपना 
अंधकार को मिटाकर ऐहसान इतना करदो 


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