मेरे मन में बसे महाराज रे पर चैन न आये मै क्या करूँ
तेरे दर्श को तरसे ये अखियाँ तुम फिर भी न आए मै क्या करूँ
जब आये है याद तिहारी भूल जाऊँ मै सुध बुध सारी
दिन रात तेरी पूजा करूँ
तेरी जन्म जन्म की दासी क्यों रहती हूँ फिर भी उदासी
तेरी राह सदा देखा करूँ
कब आओगे मोरे सावरिया कब लोगे मोरी खबरिया
तेरे नाम को रटती रहूँ
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