बाबा जी का द्वार है सजा हुआ दरबार है , जो भी दर पर आ जाये हो जाये बेड़ा पार है
कितना सुन्दर धाम है देखो सारी संगत आई है
बाबा जी ने दोनों हाथों से खुशियाँ लुटाई है
दूर दूर से भक्त प्यारे दर्शन करने आते है
रोते रोते जो भी आते हँसते हँसते जाते है
दिल के अरमां होते पूरे निश्चय से जो आ जाये
मनचाहा वरदान वो मेरे बाबा जी से पा जाये
हर गम बाबा जी हर लेते दुःख दूर हो जाता है
दिल का खज़ाना बाबा लुटाते मालोमाल हो जाता है
गुरुपूनम के रोज यहाँ पर हर साल मेला लगता है
गुरु जी की आशीष को पाकर मुश्किल काम भी सधता है
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