उसी रंग में रहना रे बन्दे उसी रंग में रहना
जिस रंग में मेरा बाबा राखे उसी रंग में रहना
वो चाहे तो तख्त बिठादे वो चाहे तो भीख मंगा दे
हँसी ख़ुशी सब सहना मुँह से कुछ न कहना
सुख में उसको भूल न जाना ,दुःख आवे तो मत घबराना
हँसी ख़ुशी सब सहना मुँह से कुछ न कहना
बाबा को अपना मीत बना ले सांस सांस में गीत बना ले
ये ही जीवन रैना मुँह से कुछ न कहना
बाबा की तुम शरण में आओ मन की मुरादें पल में पाओ
ये जीवन है गहना मुँह से कुछ न कहना
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