मंझधार में है मेरी ये नैया , पार करो ओ मेरे खिवैया
तुमने ही सबकी बिगड़ी सवारी डूबती नैया पार उतारी
डोले भंवर में मेरी नैया
छोड़ तुझे मै किस दर जाऊँ किसको अपनी विपदा सुनाऊँ
पत राखो मोरी धीर बँधैया
विपदाओं का जाल है गहरा उबरू कैसे माया का पहरा
भव से उबारो जीवन की नैया
मोहमाया ने मुझको है घेरा चक्र चौरासी का ये फेरा
काटो ये बंधन जग के रचैया
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