तेरे चरणो की धूली पा जाऊँ ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
तेरे दर्शन को मै चली आऊँ ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
हूँ मै बहुत दुखी फिर भी हे नाथ कैसे दर तेरे आऊँ मै
तेरा ध्यान करूँ पर मन न टिके कैसे सुमिरन कर पाऊँ मै
तेरी दया के काबिल हो जाऊँ ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
हे नाथ मेरे बनना न कठोर तुम हीरा हो मै पत्थर हूँ
मेरी नाव के तुम ही खिवैया हो तुम बिन कैसे वो पार लगे
मंझधार से मै भी उबर पाऊं ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
मै जीव तेरा हो ब्रह्म तुम्ही फिर क्यों मै तुमसे दूर रहूँ
हे नाथ मेरे अपनाओ मुझे तेरे चरणो पर मै शीश धरूँ
तेरी शरण को मै भी पा जाऊँ ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
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