बीते भजन बिना दिन रात रे तूने जन्म गंवाया बिन बात रे
काहे को तूने महल बनाया कंचन काया देख लुभाया
कोड़ी की माया के बदले तूने हीरा जन्म गंवाया
फूले तेरी जो फुलवारी मोहमाया है ये संसारी
माया ने कैसे खेल दिखाये सुध बुध तुझको भूली सारी
सुन्दर काया देख लुभाया यौवन है इक ढलती छाया
तूने मन का चैन गंवाकर जीवन अपना बोझ बनाया
माटी का पुतला उसने बनाया जीव को आत्मज्ञान कराया
लेकिन तूने उसको भुलाकर अपना सुख और चैन गंवाया
बाबा को अपना मीत बनाले सांस सांस में गीत बनाले
पार करेँगे भव से वो ही नैया करदे उनके हवाले
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