बीती भजन बिन तेरी जिंदगानी ,होने को आई खत्म कहानी
वचन गर्भ में किया उसे भूल गया वादा तोड़ दिया
बहुत करली तूने ये मनमानी
पैसे पे गुमान किया नुकसान किया अभिमान किया
अब न चलेगी चाल पुरानी
जीवन बेकार किया न भजन किया न सुधार किया
अब टपकाए आँख से पानी
डोली में सवार किया नाता तोड़ लिया मुख मोड़ लिया
जिंदगी की यही रीत पुरानी
_______________________________*****________________________
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें