यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 27 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-144 (Gurudev Ke Bhajan144)




बाबा तुम्हारे नाम का दीवाना बन गया हूँ 
मै तो तुम्हारी जोत का परवाना बन गया हूँ 

दिल में तेरी बस गई तस्वीर है मेरी तो बस इक यही जागीर है 
तन मन अपना तुझको अर्पण कर दिया 
सुनलो मेरे जीवन की तहरीर है
सिर को झुकाके कदमों में इंसान बन गया हूँ 

मुझको बस तेरे दर्श की ही प्यास है बिन तेरे दुनिया मेरी उदास है 
तेरा दर्शन पाऊँ तो पाऊँ ख़ुशी 
बिन तेरे वीरान मेरी ज़िंदगी 
फंसके मायाजाल में हैवान बन गया हूँ 

काटो भव बंधन मेरे घबरा गया मोह वाले जाल में जकड़ा गया 
मुझको बस इक तेरी ही तो आस है 
दुनिया वालों ने किया निराश है 
फंसके चौरासी फंद में शैतान बन गया हूँ 


_________________________________****__________________________________

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें