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बुधवार, 29 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-162 (Gurudev Ke Bhajan162)




बाबा तू जो संग है फिर मुझे क्या रंज है
 हर दुःख में और ख़ुशी में तू ही अंग संग है 

राजी तेरी रज़ा में चाहे गम दे चाहे खुशियाँ 
पर कभी न तू भुलाना भूले चाहे ये दुनिया 
तेरे हाथ आज सोंपी जीवन पतंग है 

हमको नज़र से अपनी बाबा न तू गिराना 
खाएं कभी जो ठोकर हमको तू फिर उठाना 
तू है नाखुदा तो बाबा हमको क्या रंज है 

जब भी तुझे पुकारूँ बाबा जी जल्दी आना 
नैया फंसी भंवर में बाबा जी आ बचाना 
करो पार मेरा बेड़ा चौरासी का फंद है 



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