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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-116 (Gurudev Ke Bhajan116)




हे मेरे गुरु महाराज सुनो तने आज रिझावण आयो हूँ 
युग युग से प्यासे नैना री मै प्यास बुझावण आयो हूँ 

स्वार्थ की इस दुनिया माही मेरा आज सहारो कोई नही 
ले फूटू ई तकदीर मेरो महाराज बणावण आयो हूँ 

तू दीन दुखी को रक्षक है प्रभु दीनदयाल कहावे है 
मै इक दुखियारों बालक हूँ दुःख दूर करावन आयो हूँ 

मै कद से आकर बैठो हूँ बाबा तेरे इन चरणों में 
अब खोलो पलकें अपनी तने आज जगावण आयो हूँ 


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