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गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-111 (Gurudev Ke Bhajan111)




मुझे दर्शन मिल गए है सपने में सोते सोते 
सारे कष्ट टल रहे है प्रभात होते होते 

मिला जब तेरा सहारा मेरे दिल ने ये पुकारा 
पूरे अरमां हो रहे है  प्रभात होते होते

मेरी लाज रखने वाले रहें तेरे दर उजाले 
मेरी आँखे नम हई है  प्रभात होते होते

मिला किश्ती को किनारा मेरा टूटा दिल पुकारा 
शबे गम की कट रही है  प्रभात होते होते

तेरी शान है निराली ओ दो जहाँ के वाली 
भूले रास्ता पा गए हम  प्रभात होते होते



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