लगन तुमसे लगा बैठे ,जो होगा देखा जायेगा
तेरी चौखट पे आ बैठे ,जो होगा देखा जायेगा
न चाहत इस जहाँ कीहै , न चाहत उस जहाँ की है
जहाँ दोनों भुला बैठे
किनारा कर लिया सबसे ,सहारा पा लिया तुझसे
तेरे क़दमों में आ बैठे
बसा ली आँखों में सूरत ,तेरी वो मोहनी मूरत
हस्ती अपनी मिटा बैठे
रही न जुस्तजू कोई , बची न आरजू कोई
तुझे अपना बना बैठे
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