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शनिवार, 25 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-123 (Gurudev Ke Bhajan123)




सोच ज़रा मन अब तो करले भजन 
अपनी ज़िंदगी में करले तू थोड़ा सुधार 
जीवन मिले न बार बार 

लाखों जन्मो के बाद में ये तन तूने पाया है 
पर विषयों में डूबके माटी में इसको मिलाया है 
अब तो जी में ठान ले हार ज़रा मान ले 
छोड़ अभिमान को बात मेरी मान ले 

जीवन ये अनमोल है जिसका न कोई मोल रे  
सबकी भलाई करता चल वाणी में अमृत घोल रे 
छोड़ दे दुनिया का डर अब न कर कोई फ़िक्र 
बाबा की शरण में आ चरणों में ही रख नज़र 



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