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बुधवार, 22 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-104(Gurudev Ke Bhajan104)




छोड़ के जग को है इक दिन जाना , भूल न जाना बन्दे भूल न जाना 

ये तो है इक रैन बसेरा किसका रहा है सदा बसेरा 
हुआ सवेरा अब उड़के है जाना 

ये तन है मिट्टी का खिलौना माटी से हुआ पैदा उसमें ही मिलना 
मोहमाया में तू मत भरमाना 

झूठी है ये दुनिया सारी है स्वार्थ की प्रीती सारी 
फंस गया तो फिर पड़े पछताना 

भजले बाबा का नाम हे बन्दे जीवन को तू सुधार ले बन्दे 
चौरासी के फंदे में न आना 

भवसागर में मेरी नैया पार उतारो मोरे खिवैया 
बाबा मुझे तुम पार लगाना 


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