हमें दर पे तुम्हारे आना है और आकर दर्शन पाना है
जब लिया है जन्म कुछ किया न धर्म फिर अंत समय पछताना है
जबसे हमने जन्म लिया तबसे न कोई शुभ कर्म किया
खाई जो ज़माने की ठोकर पड़ा तेरी शरण में आना है
उसने जीवन बर्बाद किया जिसने न तुझको याद किया
जपकर तेरे नाम को हम सबने जीवन को सफल बनाना है
जो दर पे तुम्हारे आते है मुँह मांगी मुरादें पाते है
ये चक्र चौरासी वाले से छुटकारा हमको पाना है
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