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शनिवार, 11 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-34 (Gurudev Ke Bhajan-34)



मेरे भोले बाबा  तूने सबको तारा , आई हूँ मै तेरे द्वार आज मुझे तारो जी 


पापों ने लूटा विषयो ने घेरा , मुझे आसरा तेरा 
मोहमाया के बंधन काटो , चौरासी का   घेरा 
मैने लीनी शरण तेरी नाथ 


दिल मेरा डोले , खाए हिचकोले दर पे कैसे आऊँ 
पापों की गठरी सिर पे मेरे सोचके मै शरमाऊँ 
अब दया करो महाराज 


जगत के दाता -भाग्यविधाता ,आई मै दुखियारी 
सबपे कृपा लुटाने वाले आज है मेरी बारी 
मेरी तुम रखना लाज 




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