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बुधवार, 15 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-55 (Gurudev Ke Bhajan-55)




मेरे मन मंदिर में बस जाओ बाबा ,जगत के स्वामी हे अंतर्यामी 
और कुछ न मांगू 


भेद तेरा बाबा कैसे जाने ,जो तुझसा हो वो तुझे जाने 
शरण पड़ी हूँ रक्षा करना,,आकर के भगवान 


द्वार पड़ी हूँ इक दुखियारी ,हर लो आकर विपदा सारी
हम है बाबा तेरे सहारे ,तुम अंगुली लो थाम 


करो कृपा बाबा दर तेरे आएं ,ज्ञान का दीपक दिल में जलायें 
चरणों में तेरे मन को रमाकर ,भजन करें सुबह शाम 


न मै चाहूँ हीरे मोती,मांगू तेरे प्रेम की ज्योति 
हर पल तेरे नाम का बाबा ,करती रहूँ गुणगान 


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