सिर को हमने आके झुकाया शरण तेरी पाने को
छोड़ तेरा दर न जायेंगे ठोकरें खाने को
याद में तेरी आंसू आये गीत विरह के हमने गाये
अश्क़ों की माला है पिरोई तुमको पहनाने को
दुनिया ने मुँह मोड़ा हमसे सबने नाता तोडा हमसे
मायाजाल को तोड़के आये दर पे मिट जाने को
भूलें हुईं नादान है हम तो बच्चे तेरे अन्जान है हम तो
भूलों को बिसरा के आओ हमको अपनाने को
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